कैल्शियम हड्डियों को मजबूत बनाता है।
हड्डियों के लिए विटामिन ‘के2’ अहम होता है।
ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतरा कम रहता है।
हड्डियों में मिनरल भरने की भूमिका निभाता है।
हड्डियों में कमजोरी आने पर हममें से ज्यादातर लोग अपने आहार में कैल्शियम की मात्रा को बढ़ा देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हड्डियों के स्वास्थ्य और अस्थि घनत्व को बढ़ावा देने के लिए कैल्शियम सबसे अच्छा तरीका नहीं है। शायद यह बात सुनकर आपको थोड़ा अजीब लग रहा होगा। लेकिन यह सही है, वास्तव में, हड्डियों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और ऑस्टियोपोरोसिस को रोकने में विटामिन K2 बहुत मददगार होता है।
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यूं तो शरीर में कैल्शियम हड्डियों को मजबूत बनाने का काम करता है लेकिन आंतों में कैल्शियम की परत न जमे, इसमें विटामिन ‘के2’ की अहम भूमिका होती है। विटामिन ‘के2’ विटामिन ई की तरह अच्छे एंटीऑक्सीडेंट का काम भी करता है, जो फ्री रेडिकल्स को लीवर को नुकसान पहुंचाने से रोकता है। विशेषज्ञों के अनुसार वयस्क महिला के लिए हर रोज कम से कम 90 एमजी और पुरुषों के लिए 120 एमजी विटामिन ‘के2’ की जरूरत होती है।
हड्डियों के लिए विटामिन 'के-2'
हाल में हुए एक शोध के अनुसार, जो पुरुष और महिलाएं विटामिन 'के-2' का अधिक सेवन करते हैं, उनमें विटामिन K2 का 65 प्रतिशत से कम सेवन करने वालों की तुलना में हिप फ्रैक्चर से पीड़ित होने की संभावनाएं बहुत ज्यादा होती हैं। प्रोफेसर ऑफ बायोकेमिस्ट्री और मॉलिक्यूलर बायोलॉजी, यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, बर्कले के बच्चों के अस्पताल ऑकलैंड अनुसंधान संस्थान (chori) के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रोफेसर ब्रूस एम्स के नेतृत्व में विटामिन 'K2' पर यह नवीनतम अध्ययन किया गया था।
हाल के शोध के अनुसार, विटामिन k2 आमतौर पर उम्र बढ़ने के साथ होने वाली निम्न समस्याओं को रोकने में एक प्रमुख भूमिका निभाता है।
ऑस्टियोपोरोसिस और हड्डियों का क्षय
धमनियों का सख्त होना
कैंसर
विटामिन K2 की कमी शरीर को प्रभावित करती है क्योंकि यह मानव द्वारा कुछ प्रकार के प्रोटीनों को संश्लेषण करने के लिये जरूरी होता है। जब शरीर में विटामिन के-2 की कमी होती है तो शरीर को कुछ आवश्यक कार्यों से समझौता करना पड़ता है। विटामिन K2 की कमी से जरूरी कैल्शियम रिस कर धमनियों में पहुंच जाता है, जिससे अस्थि-क्षय का खतरा रहता है। इसलिए विटामिन के-2 अस्थि घनत्व में भी सहायक है। हड्डियों में कैल्शियम और दूसरे मिनरल को पहुंचा कर मजबूती प्रदान करता है। इसके सेवन से ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतरा कम रहता है।
विटामिन 'के-2' का महत्व
वसा में घुलने वाला विटामिन ‘के-2’ तीन यौगिक पदार्थों यानी K1, K2 और K3 से मिलकर बनता है। हर पोषक पदार्थ की अपनी एक अलग भूमिका होती है। वैसे तो आम धारणा यह है कि विटामिन के-2 सिर्फ खून की जमावट और हड्डियों में मिनरल भरने की भूमिका निभाता है। लेकिन सच तो यह है कि विटामिन ‘के-2’ कैल्शियम, विटामिन तथा हड्डियों के अन्य मिनरल्स की मदद करता है। ‘के-2’ को औषधीय भाषा में मेनाक्विनोन के नाम से जाना जाता है और यह वसा में घुलता है।
शरीर में कैल्शियम के समान रूप से बांटने के लिए ‘के-2’ जिम्मेदार होता है। हड्डियों को काफी मात्रा में ओस्टियोकलसिन कैल्शियम की आवश्यकता होती है, वहीँ धमनियों में कैल्शियम की ज़्यादा मात्रा हो जाने पर रक्त संचार में बाधा उत्पन्न हो सकती है। विटामिन K2 इन चीज़ों का ध्यान रखता है तथा शरीर के उन हिस्सों से कैल्शियम हटाता है जहां पर उनकी आवश्यकता नहीं है।
‘के-2’ का एक और मुख्य कार्य ‘के-2’ पर निर्भर प्रोटीन को कार्यशील करना है। कोशिकाएं शरीर को बनाने में अहम भूमिका निभाती हैं और ये कोशिकायें प्रोटीन से बनी होती हैं। अतः कार्यशील होने की प्रक्रिया से कोशिकाओं को मजबूती मिलती है। हाल में हुए एक शोध के अनुसार विटामिन ‘के-2’रूमेटॉइड आर्थराइटिस को ठीक करने में काफी मदद करता है।
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विटामिन 'के-2' के स्रोत
विटामिन ‘के-2’ एक माइक्रो नुट्रिएंट है, शरीर की विटामिन की जरूरतों को पूरा करने के लिए हमें इसकी काफी कम मात्रा की जरूरत होती है। ‘के-2’ मुख्य रूप से एनिमल प्रोडक्ट में पाया जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि जानवर विटामिन ‘के-1’ से ‘के-2’ निकाल सकते हैं। उनके मांस में काफी मात्रा में विटामिन ‘के-2’ पाया जाता है। चिकन, लैम्ब, हैम तथा बीफ में काफी मात्रा में ‘के-2’ होता है। अंडे के पीले भाग का सेवन करने से भी हमें इस विटामिन की अच्छी खुराक प्राप्त होती है।
विटामिन 'के-2' की कमी के कारण
जिन लोगों के शरीर में विटामिन ‘के-2’ की कमी होती है, वे विटामिन D की कमी
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